Hindi, asked by TanayKumar15, 4 months ago

उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास। तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास।।
Iska meaning batao. Please​

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Answered by asamitsingh973
9

Answer:

"उठा बगुला प्रेम का "-यह निर्मल मन एक बगुले के समान है जिसमें प्रेम के जागृत होते ही आत्मा एकदम से स्वतन्त्र हो जाती है | मन का निर्मल होना और आत्मा का स्वतन्त्र होजाना एक ही प्रक्रिया है |प्रेम के प्रादुर्भाव के साथ ही यह तिनके रुपी आत्मा एक दम हल्की होकर शून्य में उड़ चलती है |आत्मा के साथ जब मन का संयोग होता है तभी वह मन अपने भीतर छुपी कामनाओं की पूर्ति हेतु आत्मा को शरीर की मृत्यु होने के उपरांत नए शरीर में ले आता है |मन में प्रेम जागृत होते ही समस्त कामनाएं समाप्त हो जाती है,और ऐसी स्थिति में मन का आत्मा के साथ योग भी |यह तिनका (आत्मा)शून्य में जाकर तिनके (परमात्मा )से मिल जाती है -"तिनका तिनके से मिला "|आत्मा के परमात्मा से मिलन का अर्थ यही है कि जो जिसका अंश था वह उसके पास ही पहुँच गया |इस प्रकार कबीर अंत में कहते है कि यह आत्मा ,परमात्मा के पास पहुँच ही गयी |"तिन का तिन के पास "-अर्थात यह आत्मा जिसका अंश है उस परमात्मा के पास पहुँच ही गई |कबीर के अनुसार यह सब प्रेम के कारण ही संभव हुआ है |अतः सबसे प्रेम करते रहें यही कबीर का कहना है |कबीर के लिए सबसे प्रेम करना ही एक मात्र परमात्मा की प्रार्थना है |

Answered by Deepti15324
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Answer:

"उठा बगुला प्रेम का "- यह निर्मल मन एक बगुले के समान है जिसमें प्रेम के जागृत होते ही आत्मा एकदम से स्वतन्त्र हो जाती है। मन का निर्मल होना और आत्मा का स्वतन्त्र होजाना एक ही प्रक्रिया है। प्रेम के प्रादुर्भाव के साथ ही यह तिनके रुपी आत्मा एक दम हल्की होकर शून्य में उड़ चलती है। आत्मा के साथ जब मन का संयोग होता है तभी वह मन अपने भीतर छुपी कामनाओं की पूर्ति हेतु आत्मा को शरीर की मृत्यु होने के उपरांत नए शरीर में ले आता vec 8 । मन में प्रेम जागृत होते ही समस्त कामनाएं समाप्त हो जाती है, और ऐसी स्थिति में मन का आत्मा के साथ योग भी। यह तिनका (आत्मा)शून्य में जाकर तिनके ( परमात्मा ) से मिल जाती है - "तिनका तिनके से मिला "| आत्मा के परमात्मा से मिलन का अर्थ यही है कि जो जिसका अंश था वह उसके पास ही पहुँच गया। इस प्रकार कबीर अंत में कहते है कि यह आत्मा, परमात्मा के पास पहुँच ही गयी।"तिन का तिन के पास "-अर्थात यह आत्मा जिसका अंश है उस परमात्मा के पास पहुँच ही गई | कबीर के अनुसार यह सब प्रेम के कारण ही संभव हुआ है । अतः सबसे प्रेम करते रहें यही कबीर का कहना है । कबीर के लिए सबसे प्रेम करना ही एक मात्र परमात्मा की प्रार्थना है ।

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