Hindi, asked by shwetaany7, 5 hours ago

उठो जागो और बोध को प्राप्त करो पलवन कीजिए​

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Answered by Anonymous
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करीब सवा सौ साल पहले भारत ही नहीं, विश्व क्षितिज पर ज्ञान के एक प्रकाशपुंज का आविर्भाव हुआ था. आज की दुनिया उस प्रकाशपुंज को विवेकानंद के नाम से जानती है. भारत को आत्मगौरव, प्रवृत्ति और चरित्र निर्माण का संदेश देनेवाले स्वामी विवेकानंद की आज 151वीं जयंती है. विवेकानंद का व्यक्तित्व और उनकी धरोहर जयंतियों की औपचारिकताओं के परे है. उनके विचार हमारी चिंतन धारा में इस तरह समाहित हैं, कि उन्हें छोड़ कर आगे की किसी राह की कल्पना ही नहीं की जा सकती. यह अकारण नहीं कि विवेकानंद के अनुयायी रोमां रोलां ने उन्हें क्राइस्ट और बुद्ध के समतुल्य बताया था. उनका अध्यात्म देश और मानव सेवा की बुनियाद पर टिका था और आज भी इसकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई है. विवेकानंद के जीवन और दर्शन के विभिन्न आयामों को समझने की कोशिश करता विशेष आलेख.

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