Art, asked by likefreefire1, 20 days ago

२) उद्म कि दृष्टीसे हिंदी शब्द समूह का वर्गीकरण किजीये! BA/bcom correct​

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उगम कि दृष्टीसे हिंदी शब्द समूह का वर्गीकरण

शब्दों को पांच भागों में बांटा गया है: तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशज और संकर ।

(1) तद्भव

प्राचीन आर्य भाषाओं से मध्यकालीन भाषाओं में होते हुए जो शब्द चले आ रहे हैं, उनको तद्भव शब्द कहते हैं। ये संस्कृत से उत्पन्न होते हैं। हिन्दी शब्दावली में इन तद्भव शब्दों की संख्या सर्वाधिक है। अर्थात सभी शब्द संस्कृतोद्भव होते हैं ऐसा भी नहीं। सर्वसामान्य लोगों की बोलियों में तद्भव शब्दों की संख्या हमेशा अधिक रहती है। साहित्यिक हिन्दी में यह संख्या अपने आप कम हो जाती है। क्योंकि ऐसे शब्दों का उपयोग करना गँवारू समझा जाता है। वैसे पढेलिखे लोग ही संस्कृत शब्दों का सही उच्चारण कर पाते है। सामान्य जन ठीक ठीक वैसे ही बोलना संभव नहीं हो पाता तो वे मूल संस्कृत शब्द के उच्चारण के लिए आसान रूप चुन लेते है। मूल * शब्दों का यह विकृत रूप ही 'तद्भव' कहलाता है। जैसे

कृष्ण

पुच्छ

अर्ध

गृह

कर्म

तद्भव

कान्हा या कन्हैया

आग

काज

आधा

घर

काम

असली हिन्दी के शब्द तद्भव शब्द ही होते हैं। इन शब्दों के प्रति हमे विशेष स्नेह होना चाहिए।

(2) तत्सम

तत्सम का अर्थ है उसके समान । किसी भी भाषा के मूल स्त्रोत के शब्दों को ही तत्सम शब्द कहते हैं। संस्कृत के मूल शब्दों का उपयोग साहित्यिक हिन्दी में बहुतायत से होता आया। बोलचाल की हिन्दी में तद्भव शब्दों का और साहित्यिक हिन्दी में तत्सम शब्दों का उपयोग अधिक मात्रा में होता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में संस्कृतनिष्ठ शब्दों की आवश्यकता नहीं होती। लेखन में भी अधिक संस्कृतनिष्ठता जटिलता पैदा करती है। कभी कभी तो विद्वान लेखक अपनी विद्वत्ता की धाक जमाने के लिए संस्कृतनिष्ठ भाषा का प्रयोगकरते हैं। संस्कृत के ऐसे अधिकांश शब्द हिन्दी में अपने मूल रूप में प्रयुक्त होते हैं। जैसे -राजा, देव, अधीन, अध्यक्ष देवी, ज्वर, नगर, प्राण, बुद्धि मस्तक, योग, विज्ञान, रक्षक, भक्षक, सत्य, फल, पुत्र, आदि।

(3) देशी या देशज शब्द

जो शब्द न संस्कृत के हैं, न संस्कृत से बने है, न विदेश की किसी भाषा से आए हैं ऐसे शब्द देशी या देशज शब्द कहलाते हैं। देशज का सरल अर्थ है, देश में उत्पन्न। ऐसे शब्द बोलचाल की भाषा से सहज ही उत्पन्न हो जाते हैं। उनकी व्युत्पत्ति नहीं मिलती। यह पता नहीं चलता कि किस शब्द से यह शब्द निकला है। उदा. आटा, भूसा, कद्दू, गुहार, चोंगा, टीला, झगडा, ठेस, तेंदुआ, घपला, धब्बा, बैंगन

कदली, कपास, गज, तांबूल, बाजरा, आदि शब्द आदिवासी जनजातियों की भाषा से अपनाए गए हैं।

ध्वनि के अनुकरण के आधारपर बने खुसुर-फुसुर, खनक डकार, खचाखच, चिडचिडा, छनछनाहट, गडबड, आदि शब्द भी देशज ही हैं।

(4) संकर

भिन्न भिन्न भाषाओं के शब्दों को जोड़कर बनाए गए शब्द 'संकर' कहलाते हैं।

उदा.

चोर दरवाजा (फारसी / हिन्दी)

कौंसिल- निर्वाचन (अंग्रेजी / हिन्दी)

जेब छडी (फारसी / हिन्दी)

अजायब घर (अरबी / हिन्दी)

रेल गाड़ी (अंग्रेजी / हिन्दी)

डाक खाना (अंग्रेजी / फारसी)

रेल यात्रा (अंग्रेजी / हिन्दी)

(5) अन्य आर्य भाषाओं के शब्द

आर्य भाषाएँ एक दूसरे से भी शब्द ग्रहण करती हैं। इस प्रकार हिन्दी में भी शब्द आये हैं। उदा, मराठी श्रीखण्ड, चालू, बिंदास, खोली. बांग्ला उपन्यास, संदेश, रसगुल्ला.

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