Economy, asked by sunita2000416, 7 months ago

उदासीनता वक्र विश्लेषण का प्रयोग करते हुए उपभोक्ता संतुलन की रेखाचित्र द्वारा व्याख्या करे।​

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उदासीनता वक्र

उदासीनता वक्र का ग्राफीय निरूपण

उदासीनता वक्र या तटस्थता वक्र (इनडिफरेन्स कर्व) किसी उपभोक्ता के व्यवहार को बताने वाला वक्र है जिस में किसी एक वक्र के किसी भी बिंदु पर उपभोक्ता को प्राप्त होने वाली उपभोग सामग्री से समान संतुष्टि प्राप्त होती है। या, "उदासीन वक्र उसे कहते हैं, जिसके सभी बिंदुओं पर समान संतुष्टि मिले। उदासीन वक्र मुख्यतः दो वस्तुओं के बीच की रुचि को बतलाता है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है x वस्तु और y वस्तु, मान लीजिए हम x वस्तु को बढ़ाते हैं तो हवाई वस्तु को y वस्तु को घटना पड़ेगा।"

दूसरे शब्दों में, जब उपभोक्ता उदासीनता वक्र पर बाएँ से दाएँ नीचे की ओर चलता है, तब सीमान्त प्रतिस्थापन दर घटती हुई होती है। इसी घटती सीमान्त प्रतिस्थापन दर के कारण उपभोक्ता का उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तल (Convex) होता है।

उदासीनता वक्र की परिभाषाएँ

(१) यह वस्तुओं की मात्राओं के उन संयोगों का बिन्दु है जिसके बीच व्यक्ति तटस्थ यानी उदासीन रहता है, इसलिए इन्हें तटस्थ वक्र कहते हैं। (पी.के.साहू)

(२) समान अनुराग दिखाने वाली वक्र रेखाएं तटस्थ वक्र कहलाती हैं, क्योंकि वे वस्तुओं के एेसे संयोगों को व्यक्त करती हैं, जो एक दूसरे से न तो अच्छे होते हैं और न ही बुरे। (केई बोल्डिंग)

(३) अधिमान सारणी वह तालिका है, जो वस्तुओं के एेसे विभिन्न संयोगों को बताती है, जिनसे किसी व्यक्ति को समान संतोष प्राप्त होता है। यदि हम इसे एक वक्र के रूप में प्रदर्शित करें तो हमें अधिमान वक्र प्राप्त हो जाएगा। (एएल मेयर्स )

उदाहरण के लिए, एक बालक मोहन को निम्नलिखित में से कुछ भी देने पर उसे समान सन्तोष मिलता है-

१० बेर और १ अमरूद

८ बेर और २ अमरूद

५ बेर और ३ अमरूद

३ बेर और ४ अमरूद

अतः यदि एक वक्र खींचा जाय जो इन चारों बिन्दुओं से होकर गुजरे, तो वह मोहन के लिए एक तटस्थता वक्र होगा।

इतिहास

तटस्थता वक्र विश्लेषण का प्रारंभ 1871 में अंग्रेज अर्थशास्त्री एजवर्थ ने किया था। 1906 में इतालवी अर्थशास्त्री पैरेटो ने एजवर्थ की रीति को अपनाया। 1915 में रूसी अर्थशास्त्री स्लूटस्की ने पैरेटो की इस विधि की व्याख्या की थी, लेकिन रूसी भाषा मे होने के कारण और प्रथम विश्वयुद्ध की उथल-पुथल के कारण उस व्याख्या को विशेष महत्व नहीं मिल सका और लोग उसे जल्द ही भूल गए। 1938में प्रो.

Explanation:

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Answered by Sanav1106
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                                                   उदासीनता वक्र

  • उदासीनता वक्र या इनडिफरेन्स कर्व किसी ग्राहक के व्यवहार को बताने वाला वक्र है जिस में किसी एक वक्र के किसी भी बिंदु पर उपभोक्ता को प्राप्त होने वाली उपभोग सामग्री से समान संतुष्टि प्राप्त होती है।
  • उदासीन वक्र होता है, जिसे सभी पर समान संतुष्टि मिले।यह वक्र दो वस्तुओं के बीच की रुचि को दर्शाता है जैसा कि , x वस्तु और y वस्तु, मान लीजिए हम x वस्तु को बढ़ाते हैं तो हवाई वस्तु को y वस्तु को घटना खुद पड़ेगा।
  • अन्य शब्दों में, जब  ग्राहक उदासीनता वक्र के ऊपर बाएँ से दाएँ नीचे की ओर चलता है, तब सीमान्त प्रतिस्थापन दर घटती हुई होती है। इसी घटती सीमान्त प्रतिस्थापन दर के कारण उपभोक्ता का उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तलहोता है।

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