(उदिते सूर्ये धरणी विहसति ।
पक्षी कूजति कमलं विकसति ।1।।
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उदिते सूर्ये धरणी विहसति ।
पक्षी कूजति कमलं विकसति ।1।।
भावार्थ : सूर्य के उदय होने पर ये धरती प्रकाशित होती है और उजाला फैल जाता है। चारों तरफ पक्षी चहचहाने लगते हैं, और कमल खिलने लगते हैं।
अन्य श्लोक...
नदति मन्दिरे उच्चैर्ढका।
सरिता सलिलैः सेलति नौकाः।।
भावार्थ : मन्दिर मे जोर-जोर से नगाड़ा बज रहा है। नदी में नौका धीरे-धीरे तैर रही है।
वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम्।
विविधैर्वर्णैर्विभाति चित्रम्।।
भावार्थ : पेड़ों पर तरह-तरह के नये पत्ते हैं, और विभिन्न रंगो से दृश्य सुशोभित हो रहा है, और मनभावन प्रतीत हो रहा है।
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