उद्देश्य जीवन का नहीं कीर्ति या धन है, सुख नहीं, धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है।
विज्ञान, ज्ञान, बल नहीं, न तो चिंतन है,
जीवन का अंतिम ध्येय स्वयं जीवन है। सबसे स्वतंत्र यह रस जो अनघ पिएगा,
पूरा जीवन केवल वह वीर जिएगा।
उपरोक्त पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
1. 'कीर्ति से क्या अभिप्राय है?
2. मनुष्य के जीवन का उद्देश्य क्या है?
3.ध्येय' का समानार्थी शब्द क्या है?
4.जीवन' शब्द का विलोम क्या है?
5. 'पूर्ण जीवन' कौन जी सकता है?
6.प्रस्तुत पद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक क्या है?
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5. पूर्ण जीवन केवल वीर लोग जी सकता है।
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