उठो धरा के अमर सपूतो!
पुनः नया निर्माण करो।
कली-कली खिल रही इधर
वह फूल-फूल मुस्काया है।
धरती माँ की आज हो रही,
नई सुनहरी काया है।
नूतन मंगलमय ध्वनियों से ,
गुंजित जग-उद्यान करो।
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this Hindi poem is nice
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