उठो धरा के अमर सपूतो
पुनः नया निर्माण करो |
जन - जन के जीवन में फिर से
नई स्फूर्ति , नव प्राण भरो |
नई सुबह है , नई बात है ,
नई किरण है , ज्योति नई |
नई उमंगें , नई तरंगें ,
नई आस है , साँस नई |
युग - युग के मुरझे सुमनों में ,
नई - नई मुसकान भरो |
डाल - डाल पर बैठ विहग कुछ
नए स्वरों में गाते हैं |
गुन - गुन , गुन - गुन करते भौंरें
मस्त हुए मँडराते हैं |
नवयुग की नूतन वीणा में
नया राग , नवगान भरो |
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कवि ने धरा के अमर सपूतों को क्या करने के लिए कहा है ?
कवि कई युगों से मुरझाए सुमनों में क्या भरने के लिए कह रहा है ?
कवि किसमें नया राग और नया गान भरने के लिए कहता है
गुन - गुन करके भौंरें क्या करते हैं ?
गुन - गुन करके भौंरें क्या करते हैं ?
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(क) कवि ने युग-युग के मुरझे सुमनों में क्या भरने के लिए कहा है?
i. नई-नई पहचान
ii. नई-नई मुस्कान
(ख) कवि ने नवयुग की नूतन वीणा में क्या भरने के लिए कहा है?
i. नवयुग का आह्वान
ii. नया राग, नव गान
(ग) भौंरे किस तरह मँडराते हैं?
i. गुन-गुन, गुन-गुन करते हुए
ii. टुन-टुन करते हुए
(घ) कवि ने जग-उद्यान किससे गुंजित करने के लिए कहा है ?
i. नूतन मंगलमय ध्वनियों से
ii. पुरातन मंगलमय ध्वनियों से
प्रश्न 2: सरस्वती के मंदिर को कवि ने कैसा बताया है?
उत्तर: सरस्वती के मंदिर को कवि ने पावन और शुभ बताया है।
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