उठो धरा के अमर सपूतों , पुनः नया निर्माण करो । जन - जन के जीवन में , नव स्फूर्ति नव प्राण भरो ।। डाल - डाल पर बैठ विहग कुछ , नए स्वरों में गाते हैं । गुन - गुन करते भौरे , मस्त इधर - उधर मंडराते हैं ।। युग - युग के मुरझाए फूलों में , नई मुस्कान भरो । उठो धरा के अमर सपूतों , पुनः नया निर्माण करो ।प्रस्तुत पद्यांश में कवि सपूतों से क्या करने को कह रहे हैं ?
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कवी इस पद्यांश में सपूतों को नया जीवन निर्माण करने के लिए कह रहे हैं। लोगों को जीवन जीने की स्फूर्ति देने के लिए की खह रहे हैं और मुरझाए हुए फुलों में नई मुस्कान भरने के लिए कह रहे हैं
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