उद्योग -निरत' रहने का आशय है -
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¿ उद्योग -निरत' रहने का आशय है ?
✎... उद्योग निरत रहने से आशय अपने काम में लीन रहना अर्थात अपने कार्य में लगे रहने से है।
कवि रामधारी सिंह दिनकर अपनी कविता ‘वीर’ में कहते हैं...
मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शुलों का मूळ नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।
अर्थात वीर लोग किसी भी तरह का संकट या विपत्ति आने पर कभी भी कोई शिकायत नहीं करते और हर संकट का वीरता पूर्वक सामना करते हैं। वह विपत्ति आने पर उसके सामने हार नहीं मानते। उसके चरण नहीं पकड़ते बल्कि सब कुछ दृढ़ता पूर्वक सहते हैं, और निरंतर अपने कार्य में लगे रहते हैं। अंत में वह रास्ते के सभी कांटों को दूर करते हुए विपत्ति पर विजय पाते हैं।
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