उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेन कलहो नास्ति, नास्ति जागरिते अयम् ।।3
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पुरूषार्थी के पास दरिद्रता नहीं फटकती, जप करने वाले के पास पाप नहीं रहता, मौन रहने पर लड़ाई झगड़ा नहीं होता और जागने वाले को भय नहीं होता है
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जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते, जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता। जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते। जो जागृत रहते है वो निभरय होते है।
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