उद्योग-धन्धे और शहरीकरण प्रदूषण के कारण कैसे बने?
Answers
Answer:
उद्योग धंधे और शहरीकरण प्रदूषण के कारण इस तरह बने हैं क्योंकि जब शहर में लोग रहते हैं तो वह पेड़ों को काटकर रहते हैं ना कि पेड़ों के साथ एवं जब उद्योग धंधे बड़े होते हैं तो वह फैक्ट्रीज का रूप ले लेते हैं और इस कारण नदियां बहुत ज्यादा ही प्रदूषित हो जाती हैं|
pls mark me as brain list
Answer:
वे दिन लद गए जब बच्चे सड़कों पर खुलेआम घूमते थे और पक्षी आकाश में उड़ते थे। इतना अच्छा दृश्य आजकल देखने को बहुत कम मिलता है। इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। भारत गांवों का देश था; हमारी संस्कृति गाँवों में ही पैदा हुई। लेकिन हमने कारखानों, मिलों और शहरीकरण के कारण पूरी पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।
वे दिन लद गए जब बच्चे सड़कों पर खुलेआम घूमते थे और पक्षी आकाश में उड़ते थे। इतना अच्छा दृश्य आजकल देखने को बहुत कम मिलता है। इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। भारत गांवों का देश था; हमारी संस्कृति गाँवों में ही पैदा हुई। लेकिन हमने कारखानों, मिलों और शहरीकरण के कारण पूरी पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के कारण प्रदूषण में वृद्धि
वे दिन लद गए जब बच्चे सड़कों पर खुलेआम घूमते थे और पक्षी आकाश में उड़ते थे। इतना अच्छा दृश्य आजकल देखने को बहुत कम मिलता है। इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। भारत गांवों का देश था; हमारी संस्कृति गाँवों में ही पैदा हुई। लेकिन हमने कारखानों, मिलों और शहरीकरण के कारण पूरी पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के कारण प्रदूषण में वृद्धिमानव प्रदूषण का एक मुख्य कारण शहरीकरण है। जब मानव ने शहरों की स्थापना शुरू की और उद्योगो को लगाना शुरु किया, तभी से प्रदूषण का सूत्रपात होना शुरु हो गया था। शहरीकरण की कठोर वास्तविकता यह है कि कई खूबसूरत घाटियां, पहाड़, हिल स्टेशन और जंगल प्रदूषण के ढ़ेर में परिवर्तित हो गए हैं।
वे दिन लद गए जब बच्चे सड़कों पर खुलेआम घूमते थे और पक्षी आकाश में उड़ते थे। इतना अच्छा दृश्य आजकल देखने को बहुत कम मिलता है। इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। भारत गांवों का देश था; हमारी संस्कृति गाँवों में ही पैदा हुई। लेकिन हमने कारखानों, मिलों और शहरीकरण के कारण पूरी पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के कारण प्रदूषण में वृद्धिमानव प्रदूषण का एक मुख्य कारण शहरीकरण है। जब मानव ने शहरों की स्थापना शुरू की और उद्योगो को लगाना शुरु किया, तभी से प्रदूषण का सूत्रपात होना शुरु हो गया था। शहरीकरण की कठोर वास्तविकता यह है कि कई खूबसूरत घाटियां, पहाड़, हिल स्टेशन और जंगल प्रदूषण के ढ़ेर में परिवर्तित हो गए हैं।इंसान की ज़रूरतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं और उन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमने अपनी धरती माँ का खूब शोषण किया है। पेड़ों की कटाई, नदियों और झीलों का दूषित होना और प्राकृतिक भंडार का दुरुपयोग, शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के प्रमुख दुष्परिणाम हैं।
वे दिन लद गए जब बच्चे सड़कों पर खुलेआम घूमते थे और पक्षी आकाश में उड़ते थे। इतना अच्छा दृश्य आजकल देखने को बहुत कम मिलता है। इसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं। भारत गांवों का देश था; हमारी संस्कृति गाँवों में ही पैदा हुई। लेकिन हमने कारखानों, मिलों और शहरीकरण के कारण पूरी पृथ्वी को प्रदूषित कर दिया है।शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के कारण प्रदूषण में वृद्धिमानव प्रदूषण का एक मुख्य कारण शहरीकरण है। जब मानव ने शहरों की स्थापना शुरू की और उद्योगो को लगाना शुरु किया, तभी से प्रदूषण का सूत्रपात होना शुरु हो गया था। शहरीकरण की कठोर वास्तविकता यह है कि कई खूबसूरत घाटियां, पहाड़, हिल स्टेशन और जंगल प्रदूषण के ढ़ेर में परिवर्तित हो गए हैं।इंसान की ज़रूरतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं और उन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमने अपनी धरती माँ का खूब शोषण किया है। पेड़ों की कटाई, नदियों और झीलों का दूषित होना और प्राकृतिक भंडार का दुरुपयोग, शहरीकरण और औद्योगीकीकरण के प्रमुख दुष्परिणाम हैं।नदी - सर्वाधिक पीड़ित
तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पिछले कुछ वर्षों में नदियों पर प्रदूषण की मार ज्यादा बढ़ी है। सिंचाई, पीने, औद्योगिक उपयोग, बिजली इत्यादि के लिए पानी की उपलब्धता, चुनौती बन गयी है। नदियों के किनारे बसे शहरों से अनुपचारित अपशिष्ट जल का निर्वहन नदियों में प्रदूषण भार का प्रमुख स्रोत है।
तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पिछले कुछ वर्षों में नदियों पर प्रदूषण की मार ज्यादा बढ़ी है। सिंचाई, पीने, औद्योगिक उपयोग, बिजली इत्यादि के लिए पानी की उपलब्धता, चुनौती बन गयी है। नदियों के किनारे बसे शहरों से अनुपचारित अपशिष्ट जल का निर्वहन नदियों में प्रदूषण भार का प्रमुख स्रोत है।निष्कर्ष
तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पिछले कुछ वर्षों में नदियों पर प्रदूषण की मार ज्यादा बढ़ी है। सिंचाई, पीने, औद्योगिक उपयोग, बिजली इत्यादि के लिए पानी की उपलब्धता, चुनौती बन गयी है। नदियों के किनारे बसे शहरों से अनुपचारित अपशिष्ट जल का निर्वहन नदियों में प्रदूषण भार का प्रमुख स्रोत है।निष्कर्षआज नतीजा यह है कि हम अत्यधिक प्रदूषित शहरों में रहते हैं, जहां दिन-प्रतिदिन जीवन तेजी से बदलता जा रहा है। हम इस शहरी प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य मुद्दों का सामना करते हैं और सबसे बुरी बात यह है कि हमें इसका एहसास भी नहीं है। यही उचित समय है, इस प्रदूषण पर अंकुश लगाने और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के तरीकों को अपनाने की जरुरत है।