उद्यौ मन अभिमान बढ़ायौ जदुपाती जोग जानि जिय साँचौ , नैन अकास चढायौ । नारिनि पै मोकौं पठवत हैं कहत सिखावन जोग मन ही मन आप करत प्रशंसा , यह मिथ्या सुख - भोग
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उद्यौ मन अभिमान बढ़ायौ जदुपाती जोग जानि जिय साँचौ , नैन अकास चढायौ । नारिनि पै मोकौं पठवत हैं कहत सिखावन जोग मन ही मन आप करत प्रशंसा , यह मिथ्या सुख - भोग
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