उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।1।।
पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधित ः।
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः ।।2।।
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।3।।
Answers
Answered by
3
.
.
.
Answered by
15
Answer:
1).
कोई भी काम कड़ी मेहनत से ही पूरा होता है सिर्फ सोचने भर से नहीं| कभी भी सोते हुए शेर के मुंह में हिरण खुद नहीं आ जाता
2). from attached photo
3). प्रिय वाणी बोलने से सभी संतुष्ट रहते हैं, अर्थात् सदैव प्रिय भाषण ही करना । प्रिय बोलने में क्यों कंजूसी करना ?
MARK ME AS BRAINLIEST
Attachments:
Similar questions