Hindi, asked by ashokchoubey1808, 8 months ago

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।1।।
पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधित ः।
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः ।।2।।
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।3।।​

Answers

Answered by Anonymous
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.&lt;marquee&gt;उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।<br />न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।1।।<br />पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधित ः।<br />किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः ।।2।।<br />प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।<br />तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।3।।​&lt;/marquee&gt;
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Answered by anshul993
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Answer:

1).

कोई भी काम कड़ी मेहनत से ही पूरा होता है सिर्फ सोचने भर से नहीं| कभी भी सोते हुए शेर के मुंह में हिरण खुद नहीं आ जाता

2). from attached photo

3). प्रिय वाणी बोलने से सभी संतुष्ट रहते हैं, अर्थात् सदैव प्रिय भाषण ही करना । प्रिय बोलने में क्यों कंजूसी करना ?

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