Hindi, asked by indujainjhs, 5 months ago

उद्यमेन विना राजन्। न सिद्धयन्ति मनोरथाः।
कातरा इति जल्पन्ति यद्भाव्यं तद्भविष्यति।। 4।।​

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Answered by bhatiamona
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उद्यमेन विना राजन्। न सिद्धयन्ति मनोरथाः।

कातरा इति जल्पन्ति यद्भाव्यं तद्भविष्यति।। 4।।​

दोहे का अर्थ है कि जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है | मेहनत करने से सफलता मिलती है , ऐसे सोचने और योजना बनाने से कुछ नहीं होता | जिस प्रकार सोए हुए राजा के मुहँ में हिरण और अन्य जानवर स्वयं प्रवेश नहीं करते है , शेर को खुद शिकार के लिए जाना पड़ता है उसे शिकार करना पड़ता है | अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत बहुत जरूरी है |

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प्र.18. निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-

तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान।

तू मोहन के उर बसी, है उरबसी समान।।

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