उद्यमेन विना राजन्। न सिद्धयन्ति मनोरथाः।
कातरा इति जल्पन्ति यद्भाव्यं तद्भविष्यति।। 4।।
Answers
Answered by
3
उद्यमेन विना राजन्। न सिद्धयन्ति मनोरथाः।
कातरा इति जल्पन्ति यद्भाव्यं तद्भविष्यति।। 4।।
दोहे का अर्थ है कि जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है | मेहनत करने से सफलता मिलती है , ऐसे सोचने और योजना बनाने से कुछ नहीं होता | जिस प्रकार सोए हुए राजा के मुहँ में हिरण और अन्य जानवर स्वयं प्रवेश नहीं करते है , शेर को खुद शिकार के लिए जाना पड़ता है उसे शिकार करना पड़ता है | अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत बहुत जरूरी है |
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ ▬▬ ▬▬
संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►
https://brainly.in/question/34472088
प्र.18. निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-
तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी, है उरबसी समान।।
Similar questions