उद्यमी पैदा होते हैं ? बनाए नहीं जाते समझाइए ?
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प्राचीन मत के अनुसार उद्यमी पैदा होते हैं, बनाये नहीं जाते हैं। पर अब यह धारणा खत्म होती जा रही है। व्यावसायिक ज्ञान, प्रशिक्षण सुविधाओं तथा विभिन्न प्रेरणाओं की उपलब्धि के कारण अब उद्यमी भी विकसित किये जा सकते हैं।
उद्यम से तात्पर्य किसी नए उद्योग की स्थापना करने से होता है। उद्यमी उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कोई नया उपक्रम आरंभ करता है। वह इसके लिए आवश्यक जरूरी संसाधनों को जुटाता है। व्यवसायिक क्रियाओं का संचालन करता है। अपने उद्यम को स्थापित करने के लिए विभिन्न तरह के संघर्ष करता है, जोखिम लेता है तथा अनेक तरह की चुनौतियों का सामना करता हुआ अपने उद्यम को विकसित करता है।
जोखिम वहन करना उद्यमी का सबसे प्रमुख कार्य होता है। एक सफल उद्यमी बनने के लिए अनेक गुणों की आवश्यकता होती है। पहले की सोच के अनुसार ऐसे गुण व्यक्ति जन्म से ही होते थे, जो बाद में सफल उद्यमी बनते थे। इसलिए उद्यमियों के बारे में यह धारणा कि कि उद्यमी पैदा होते हैं बनाए नहीं जाते।
आज के आधुनिक समय में यह धारणा धूमिल पड़ती जा रही है। आज उचित प्रशिक्षण, उचित कौशल, प्रशिक्षण सुविधाओं, विभिन्न तरह के ज्ञान तथा तकनीक आदि के माध्यम से उद्यमी विकसित किए जा रहे हैं। ऐसे व्यक्ति जिनका उद्यम से दूर-दूर तक नाता नहीं था वह भी सफल उद्यमी बन रहे हैं। इसलिए प्राचीन संदर्भ में यह धारणा ठीक थी कि उद्यमी पैदा होते हैं, बनाए नहीं जाते, लेकिन अब यह धारणा पूरी तरह सही नही है।