उधौ तुम हो अति बड़भागी, अपरस रहते स्नेह तगा तैं, नाहिन मम अनुरागी पुरइनिं पात रहत जल
देंन दागी ज्यौं जल माँह तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी प्रीति-नदी में पाँऊ बौरयौ दृष्टि न
सूरदास अबला हम भोरी गुर चाँटी ज्यौं पागी।
क) अद्धव को बड़भागी क्यों कहा गया है क्या आप भी उसे बड़भागी मानते है?
ख) अद्धव के दिल में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और बँधन क्यों नहीं था?
ग) गोपियों ने स्वयं को भोरी क्यों कहा हैं?
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