Hindi, asked by asifakhan1239, 1 month ago

उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालो सी | चली आ रही है फेन उगलती फन फैलाए व्यालों सी

Answers

Answered by Anonymous
17

Answer:

उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी। चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी। ' इस काव्य पंक्ति में लहरों को काल के समान भयानक बताया है, अर्थात यहाँ 'भय' नामक स्थायी भाव दृष्टव्य है। इसलिए यहाँ 'भयानक रस' है।

Explanation:

I hope it is useful for you

Similar questions