उधव की अकह कहानी को सुनकर गोपियों की दसा का वर्णन कीजिए
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कृष्ण के सखा उद्धव के ब्रज में आगमन की खबर सब जगह फैल गई। जैसे ही गोपियों ने श्रीकृष्ण के सखा उद्धव के आने का समाचार सुना गोपियों के झुण्ड के झुण्ड नन्द के द्वार पर इकट्ठे होने लगे। अपने कमल से कोमल पैरों के पंजों से उचक-उचक कर पत्री को देखने लगीं। कोई तो उस पत्री को अपने हृदय से स्पर्श कराने लगी। सभी एक-दूसरे से पूछने लगी कि हमारे लिए श्रीकृष्ण ने क्या लिखा है। श्रीकृष्ण के विरह में व्यथित सभी गोपियों की हालत ऐसी है जैसे वे दुःख की पराकाष्ठा पर पहुँच गई हों। संदेश की खबर ने जितना सुख उनको दिया उससे कहीं अधिक दुःख संदेश के ज्ञान ने दिया।
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उधव की अकह कहानी को सुनकर गोपियों की दसा का वर्णन :
उद्धव से उस ब्रह्म की अकथनीय कहानी को सुन कर गोपियाँ बेहाल हो गईं । कोई गोपी तो काँपकर अपने ही स्थान पर जड़वत् स्थिर हो गई थी। किसी किसी को उद्धव पर क्रोध आने लगा था, और कोई गुस्से में आकर बड़बड़ाने लगी। कोई गोपी बिलख और व्याकुल हो उठी । कोई गोपी शिथिल होकर थकी सी दिखाई देने लगी थी । उस असह्य दशा के कारण किसी-किसी का शरीर तो पसीने से लथपथ हो गया, और किसी के नेत्रौंं से आँसु छलक पड़े। कोई-कोई गोपी चक्कर खाकर वेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी। कोई गोपी बावली सी ‘स्याम-स्याम’ को रटने लगी, और बहक कर बड़बड़ाने लगी थी। कोई गोपी अपना कोमल हृदय थाम कर रह गई थी।
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