utpad k roop m shiksha kis parkar bhinn h
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प्राय: यह विश्वास किया जाता है की बालकों को शिक्षा केवल स्कूलों तहत कॉलेजों में ही दी जाती है। परन्तु वास्तविकता यह है कि स्कूलों तथा कॉलेजों के अतिरिक्त बालक अनके साधनों के द्वारा शिक्षा प्राप्त करता है। प्रशिद्ध शिक्षा शास्त्री जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा का अर्थ है – जीवन अथवा विकास। उसका मत है कि जीवन अथवा विकास का अच्छा या बुरा होना वंशानुक्रम तथा वातावरण पर निर्भर करता है। वंशानुक्रम निश्चित होता है , परन्तु वातावरण को परिवर्तन द्वारा अच्छा या बुरा बनाया जा सकता है। अत: जीवन अथवा विकास का अच्छा या बुरा होना वातावरण पर निर्भर करता है इस दृष्टि से बालक के जीवन तथा विकास के लिए उपयुक्त वातावरण प्रस्तुत करना ही शिक्षा है। परिवार समुदाय, धर्म, राज्य, स्कूल, पुस्तकालय, पुस्तक रेडियो, सिनेमा, टेलिविज़न, प्रदर्शनी तथा समाचार-पत्र आदि सब ऐसे तत्व है जो बालक को हर प्रकास का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। शिक्षा में इन सभी तत्वों को शिक्षा के साधनों की संज्ञा दी जाती है। साधन क अंग्रेजी में एजेंसी कहते हैं एजेंसी का अभिप्राय है एजेंट उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी कार्य को करे अथवा किसी प्रभावित करे। इस दृष्टि से भी ये सभी तत्व अथवा संस्थायें शिक्षा के साधन है क्योंकि ये बालक पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तथा चेतन अथवा अचेतन रूप से शैक्षणिक प्रभाव डालते रहते हैं।