Hindi, asked by sandip51, 1 year ago

Uttar Adhunik Samaj sab se aap kya samajhte hain Charcha kijiye


sandip51: keya huwa blo

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Answered by Ashh123
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उत्तर आधुनिकता में आधुनिकता के साथ उत्तर उपसर्ग लगाकर उत्तर आधुनिकता शब्द बना है। इसकी व्याख्या दो अर्थों में की जा सकती है। एक तो है, आधुनिकता का उत्तर अर्थात विरोध तथा दूसरा है आधुनिकता का उत्तर पक्ष। यदि इसे आधुनिकता की अगली कड़ी या अगला सोपान कहें तो अनुचित न होगा। आप उत्तर आधुनिकता को आधुनिकता की पुनर्परिभाषा भी कह सकते हैं- “उत्तर आधुनिकता में आधुनिकता के अनेक तत्त्वों को खारिज किया गया और बदलती सामाजिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक स्थितियों के प्रकाश में कुछ अन्य आधुनिक मान्यताओं को पुनर्परिभाषित किया गया है।”[1] 

आधुनिकता को यदि व्यापक परिप्रेक्ष्य में लें तो यह ऐसी जीवन दृष्टि है जो औद्योगिक युग, पूंजीवाद, ज्ञानोदय, वैज्ञानिक क्रांति, प्रोटेस्टेंट आचार पद्धति, तार्किकीकरण तथा विचारों की सार्वभौमिकता पर टिकी थी। ‘उत्तर आधुनिक’ युग को डेनियल बेल ने ‘उत्तर औद्योगिक युग’ कहा है, जहां पर उद्योग अर्थ व्यवस्था के केंद्र में नहीं रहा। उद्योगों के विकास के कारण उत्पादन में वृद्धि होने लगी किंतु वस्तुओं के उपभोग हेतु उपभोक्ता कम होने लगे। उत्तर आधुनिक युग में उपभोक्ता को केंद्र में रख कर एक कृत्रिम मांग पैदा की जाने लगी। अब उपभोक्ताओं को बहलाया फुसलाया जाने लगा ताकि वे अधिकाधिक उपभोग करें। इसके लिए विज्ञापनबाजी का सहारा धड़ल्ले से लिया जाने लगा।
डेनियल बेल ने 1973 में दावा किया कि आने वाले तीस या पचास वर्षों में हम उत्तर औद्योगिक समाज को उभरता देखेंगे। बेल का यह भी मानना था कि उत्तर औद्योगिक अवस्था उत्तर औद्योगिक समाज का सहज परिणाम नहीं है परंतु वह संयोगवश इसके साथ है। बेल के अनुसार पूंजीवाद के विकास में प्रोटेस्टेंट विचारों का योगदान था जिसमें अधिकाधिक अर्जन एवं न्यूनतम उपभोग दो विरोधी मूल्यों का संतुलन था। आधुनिकता के अंतिम दौर में न्यूनतम उपभोग की अवधारणा समाप्त हो गई और एक नई तरह की सुखवादी प्रवृत्तियों का विकास हुआ। इसप्रकार पंजीवाद में लोभ और लाभ का दौर अंधे उपभोगवाद के साथ पनपने लगा और पूंजीवाद की लोकोत्तर नैतिकता नष्ट हो गई। बेल की अवधारणा है कि उत्तर आधुनिकता में इस परवर्ती सुखवादी आधुनिकता की प्रवृत्तियों का ही विकास हुआ है।

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