Hindi, asked by vimlahiran9820, 4 months ago

ऊँचे बैठे ना लहैं, गुन बिन बड़पन कोइ ।
बैठो देवल सिखर पर, वायस गरुड़ न होइ
कोआ
उद्यम कबहुँन छाँड़िए, पर आसा के मोद
गागरि कैसे फोरिए, उनयो देखि पयोद ।।
Arth kya hai ​

Answers

Answered by jaijagat10jul2010
2

Answer:

aapka prashn samajh me nhi aa raha hai

chama kijiyega

Explanation:

Answered by pariharkiran
5

Answer:

ऊंचे बैठे ना लहै गुन बिन बड़पन कोइ। बैठो देवल सिखर पर बायस गरुड़ न होइ॥ भावार्थ: वृन्द कवि कहते हैं कि गुणों के बिना ऊँचे बैठने से कोई व्यक्ति बड़ा नहीं बन जाता है। जिस प्रकार मंदिर के शिखर पर बैठने से कौआ गरुड़ नहीं बन जाया करता है।

Explanation:

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