Hindi, asked by krishnaenterprises37, 7 months ago

ऊँचा हो शीश जहाँ
भारत को उसी स्वर्ग में तुम जागृत करो।
जहाँ नहीं होती बंदी धरती
आँगन या घर की दीवारों से
जहाँ वाक्य फूट-फूट पडते हैं
हृदय के उछाह-भरे झरनों से
भारत को उसी स्वर्ग में तुम जागृत करो।
जहाँ दिशा-दिशा और देश-देश में
बहती है कर्मधार मुक्त देश में,
जहाँ क्षुद्र नियमों वाला मरूथल
सोखता नहीं विचार के प्रवाह को
भारत को उसी स्वर्ग में तुम जागृत करो।।
क) कविता की प्रथम तीन पंक्तियों में कवि ने भारत को कैसा स्वर्ग बनाने की रस
व्यक्त की है?
ख) कविता का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।​

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Answered by nivaskumar4567
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