ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होइ।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोइ।।
कर्म अच्छे न होने पर क्या व्यर्थ है ? कवि ने किस दृष्टांत से इसे
समझाया है ?
दूसरी पंक्ति का भाव स्पष्ट करें ?
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(क) कर्म अच्छे न होने पर उच्च कुल ( उंचा खानदान) व्यर्थ है
दुसरी पंक्ती का भाव
तुम साधू भी होंगे तब भी तुमहारा निंदा ही होगी अगर तुमहारा पाणी का कलश दारू से भरा हो तो
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Explanation:
uh CV hug check kg d in CS djcj XD h is at in NB d DDF g GH Dr Dr jr zish
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