Hindi, asked by noone6255, 13 hours ago

ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होई| सुबरन कलस सूरा भर, साधु निंदा सोई।​

Answers

Answered by mamathathallapelli52
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Answer:

कबीर दोहे व्याख्या हिंदी में

ऊँचे कुल में जनमिया, करनी ऊँच न होय ।

सबरं कलस सुरा भरा, साधू निन्दा सोय ।।

या

ऊंचे कुल का जनमिया, करणी ऊंच न होइ।

सुबरण कलश सुरा भरा, साधु निंदा सोई।।

Explanation:

कबीर साहेब ने व्यतिगत/गुणों के आधार पर श्रेष्ठता को स्वीकार किया है लेकिन जन्म आधार पर / जाति आधार पर किसी की श्रेष्ठता को नकारते हुए कहा की मात्र ऊँचे कुल में जन्म ले से ही कोई विद्वान् और श्रेष्ठ नहीं बन जाता है, इसके लिए उसमे गुण भी होने चाहिए। यदि गुण हैं तो भले ही वह किसी भी जाती और कुल का क्यों ना हो वह श्रेष्ठ ही है। यदि सोने के बर्तन में शराब भरी हुयी है, तो क्या वह श्रेष्ठ बन जायेगी ? नहीं वह निंदनीय ही रहेगी/ साधू और सज्जन व्यक्ति उसकी निंदा ही करेंगे।

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