ऊँचे कुल का जनमिया जे करनी ऊँच न होई।
सुखन कलस सुरा भरा साधू निंदा सोई।
कबीर ने श्रेष्ठ किसे माना है ?
उपर्युक्त काव्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए ?
काव्यांश के शिल्प सौदर्य को बताइए?
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vyakti k karma ko kabir ji Ne सर्वश्रेष्ठ
mana h . esme yah kaha Gaya h Ki
unche kul me janm lene se kuch nahi hota vyakti ka kam acha hona chaiye.
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