ऊँ चे शैल लशिर के ऊपर मंहर्दर था विस्तीणव विशाल; स्िणव कलश सरलसि वि लसत थे पाकर समुहर्दत रवि कर िाल। र्दीप धूप सेआमोहर्दत था मंहर्दर का आँगि सारा; गँूि र ी थी भीतर बा र मुिररत उत्सि की धारा। भक्त िंर्दृ मर्दृ ुमधुर कंि से गाते थे सभजक्त मुर्द मय, ‘पनतत ताररणी पाप ाररणी, माता तेरी िय िय िय।‘ ‘पनतत ताररणी, तेरी िय िय’ मेरे मुि से भी निकला, बबिा बिे ी मैं आगे को िािे ककस बल से हिकला। पापी िे मंहर्दर मेंर्ुसकर ककया अिथव बडा भारी; कलुवर्त कर र्दी ैमंहर्दर की धचरकाललक शुधचता सारी।“ ऐं, क्या मेरा कलुर् बडा ै र्देिी की गररमा से भी; ककसी बात में ूँमैंआगे माता की मह मा के भी? प्रश्ि 1 - मंहर्दर के विशाल आँगि मेंकमल के फूल ककस तर शोभा र्दे र े थे? 1 (क ) सोने के र्डों के सिान (ख ) सूया के सिान (ग ) खूबसूरत रंगों के सिान (घ ) इंद्रधनुर् के सिान प्रश्ि 2 - मंहर्दर में ककस तर का मा ौल लग र ा था? 1 (क ) शादी की तरह (ख ) खुमशयों का (ग ) उत्सव की तरह (घ ) जन्िोत्सव की तरह प्रश्ि 3 - सुखिया का वपता मंहर्दर मेंक्या कल्पिा करिे लगा? 1 (क ) सुणखया की बबिारी के ठीक होने की (ख ) सुणखया को प्रसाद का िूल देने की (ग ) िुआिूत की सिस्या की सिाच्प्त की (घ ) िंढदर िें उत्सव की प्रश्ि 4 - सुखिया के वपता को लोग पापी क्यों क र े थे? 1 (क ) प्रसाद लेने के कारण (ख ) अिूत होने के कारण (ग ) िंढदर िें प्रवेश करने के कारण (घ ) उपरोतत सर्ी
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hi plz mark brainlist its very urgent
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