(५) ऊपरलिखित पद्यांश का भावार्थ सरल हिंदी में लिखिए
। उत्तरः
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उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ
बगैर किसी स्वर और राग के मुझे अनेकों स्वर सुनाई दे रहे हैं। मेरा हृदय कृष्ण को समर्पित है और उनके रंग में रंगा हुआ है, डूबा हुआ है। होली खेलने के लिए मैं संतोषरूपी शील का उपयोग गुलाल की तरह किया है और मेरे श्री कृष्ण ही मेरी पिचकारी हैं।
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