ऊर्जा की बढ़ती भाग को आपूर्ति कैसे की जा सकती है समझाइए
Answers
Answer:
ऊर्जा किसी भी देश के विकास का इंजन होती है। किसी देश में प्रति व्यक्ति होने वाली ऊर्जा की खपत वहाँ के जीवन स्तर का भी सूचक है। यही नहीं, आर्थिक विकास का भी ऊर्जा उपयोग के साथ मज़बूत संबंध होता है। इसलिये भारत जैसी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिये ऊर्जा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बहुत ज़रूरी है।
इन्हीं पहलुओं के मद्देनज़र बीते दिनों नई दिल्ली में एक सभा को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने तेल उत्पादक देशों से ऊर्जा की लागत को कम करने का आग्रह किया ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मदद मिल सके।
कुछ समय पूर्व आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पहली बैठक में भी 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित संसाधनों से 40 फीसदी बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
इसमें दो राय नहीं कि तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण और सुख-सुविधाओं के लिये संसाधनों की तेज़ी से खपत हो रही है। लेकिन इससे पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं का जन्म हो रहा है। ऐसे में सवाल है कि बढ़ती जनसंख्या और ऊर्जा आपूर्ति के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए? सवाल यह भी है कि पर्यावण और भविष्य की पीढ़ी को ध्यान में रखकर भारत की आगे की रणनीति क्या होनी चाहिये। साथ ही वर्तमान में भारत की किन स्रोतों पर कितनी निर्भरता है और इसे कैसे बदला जा सकता है? इस लेख के ज़रिये हम इन्हीं कुछ मुद्दों पर चर्चा करेंगे।