ऊतक संवर्धन के इतिहास पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
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ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) वह क्रिया है जिससे विविध शारीरिक ऊतक अथवा कोशिकाएँ किसी बाह्य माध्यम में उपयुक्त परिस्थितियों के विद्यमान रहने पर पोषित की जा सकती हैं। यह भली भाँति ज्ञात है कि शरीर की विविध प्रकार की कोशिकाओं में विविध उत्तेजनाओं के अनुसार उगने और अपने समान अन्य कोशिकाओं को उत्पन्न करने की शक्ति होती है। यह भी ज्ञात है कि जीवों में एक आंतरिक परिस्थिति भी होती है। (जिसे क्लाउड बर्नार्ड की मीलू अभ्यंतर कहते हैं) जो सजीव ऊतक की क्रियाशीलता को नियंत्रित रखने में बाह्य परिस्थितियों की अपेक्षा अधिक महत्व की है। ऊतक-संवर्धन-प्रविधि का विकास इस मौलिक उद्देश्य से हुआ कि कोशिकाओं के कार्यकारी गुणों के अध्ययन की चेष्टा की जाए और यह पता लगाया जाए कि ये कोशिकाएँ अपनी बाह्य परिस्थितियों से किस प्रकार प्रभावित होती हैं और उनपर स्वयं क्या प्रभाव डालती हैं। इसके लिए यह आवश्यक था कि कोशिकाओं को अलग करके किसी कृत्रिम माध्यम में जीवित रखा जाए जिससे उनपर समूचे जीव का प्रभाव न पड़े।
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