Hindi, asked by zarakhan4488love, 2 months ago

ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने। स्याम तुमहिं ह्याँ कौं नहिं पठयौ, तुम हौ बीच भुलाने। ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौ, बात कहत न लजाने। बड़े लोग न बिबेक तुम्हारे, ऐसे भए अयाने ॥ हम्म्सौं कही लई हम सहि कै, जिय गुनि लेहु सयाते। कहँ अबला कहँ दसा दिगंबर, मष्ट करौ पहिचाने । समय कहौं तुमकों अपनी सौं, बूझति बात निदाने । सूर-स्याम जब तुमहिं पठायौ, तब नैकहुँ मुसकाने ॥9॥ in hindi translate

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Answered by sujathakalisetty3
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Answer:

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Explanation:

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Answered by HrishikeshSangha
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उपर्युक्त पंक्तियाँ सूरदास द्वारा लिखित है।

  • इन पंक्तियों के माध्यम से गोपियों का वर्णन किए गया है। जब श्री कृष्णा ब्रिज में नहीं थे और उधौ उन्हें योग ज्ञान के बारे में बताने आये और गोपियों ने उन्हें शर्मिंदा कर दया। गोपियाँ उन्हें उत्तर देती है की उन्होंने उहौ को जान लिए। वे कहती है की श्याम ने उन्हें यहाँ नहीं भेजा बल्कि वो अपना रास्ता भटक गए है।
  • ब्रिज की स्त्रियों से योग विद्या की बात कहते हो और ये बात कहते हुए क्या तुम्हे शर्म नहीं आती? तुम ग्यानी ज़रूर होंगे लेकिन तुम्हारे पास विवेक नहीं है। वे कहती है की उन्होंने तो सेह लिए लेकिन किसी और से ऐसी बात न करना और कहने से पहले मन में सोच लेना।
  • उन्हें अपनी ही कसम देकर उन्हें ये बताने को कहती है की जब कृष्ण के उन्हें यहाँ भेजा था तो क्या थोड़ा सा भी मुस्कुराये थे। यदि उन्होंने ऐसा किए होगा तो उन्होंने तुम्हारा उपहास उड़ाया है।

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