ऊधौ मन न भ ए दस बीस। एक हुतौ सो गयौ स्याम सँग, कौर अवरौदी ईस।। इंद्रीस सिथिल भ ई केसव बिनु, ज्यौ देही सीस। आसा लागी रहती तन स्वासा, जीवहिं कोटि बरीस।। तुम तौ सखा स्याम सुन्दर के, सकल जोग के ईस। सूर हमारैं नँद-नंदन बिनु, और नहीं जगदीस।।
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मन दस दस नहीं है। ए हटौ सो गयौ स्याम गीत, कौर अवौदी ई। इंद्रिस सिथिल भए केशव बिनु, ज्यौ देहि सीस। स्वास्थ्य, जीवन और अन्याय के साथ जीना आसान है। स्याम सुंदर के तुम तौ सख, सकल जोग। सुर हरेन नंद-नंदन बिनु, नहीं और जगदीस।
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