ऊधौ, तुम हो अर्त बडभागी |
अपरस रहत सनेह तगा ते , नार्होंन मन अनुरागी |
पोंक्ति का आशय स्पष्ट कीर्जये |
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यहाँ गोपीआ कह रही है की तुम तुम तो बहुत भाग्यशाली हो जोकि तुम्हे उनका साथ हर दम मिलता है पर हम तो अभागे है जो उनके साथ उनके बचपन के बाद देख नहीं पाई और उन्न्हो ने तुम्हे भेजा है की तुम आके हमें सहानुभूति देने आइयो हो
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