ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तें, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माह तेल की गागरि, बूंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोस्यौ, दृष्टि न रूप परागी।
'सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।।
Meanning
Answers
Answered by
3
Answer:
see my attachement
hope it's helpful for you
Attachments:
Similar questions