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अधिनायक' शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
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‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है इसमे आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है|
Explanation:
राष्ट्रीय गीत में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी मिलने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है।
हरचरना स्कूल जाने वाला एक बदहाल गरीब लड़का है। कवि प्रश्न करता है कि राष्ट्रगीत में वह कौन भारत भाग्य विधाता है जिसका गुणगान पुराने ढंग की ढीली ढाली हाफ पैंट पहने हुए गरीब हरचरना गाता है। कवि का कहना है कि राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा-सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है।
कवि प्रश्न करता है कि वह कौन है. जो मखमल, टमटम, वल्लभ तुरही के साथ माथे पर पगडी एवं चँवर के साथ तोपों की सलामी लेकर ढोल बजाकर अपना जय-जयकार करवाता है। अर्थात् सत्ताधारी वर्ग बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब के साथ इस जलसे में शिरकत कर अपना गुणगान अधिनायक के रूप में करवाये जा रहा हैं।
कवि प्रश्न करता है कि कौन वह सिंहासन (मंच) पर बैठा जिसे दर-दर से नंगे पैर एवं नरकंकाल की भाँति दुबले-पतले लोग आकर उसे (अधिनायक) तमगा एवं माला पहनाते हैं। कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक महाबली से डरे हुए लोग से मन के रोग किसका गुणगान बजा बजाकर करते हैं।
इस प्रकार इस कविता में रघुवीर सहाय ने वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्य किया है। कविता का निहितार्थ यह है मानो इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।