v. गाँधी जी के अनुसार पाप का अन्न खाने वाला कौन है ?
क. उपभोक्ता
ख. उत्पादन करता
ग कर्म न करने वाला
Answers
Answer:
(ग) कर्म न करने वाला
Explanation:
जो व्यक्ति पाप का खाता है । वे पापी होता है
Answer:
गाँधी जी के अनुसार पाप का अन्न खाने वाला कर्म न करने वाला है I
Explanation:
गांधी जी के अनुसार हमेश कर्म करते रहना चाहिए , हमेशा व्यक्ति को क्रियावान रहना चाहिए ताकि वो हमेश अपना कमाया हुआ ही भोग करे I लेकिन कभी कभी व्यक्ति निष्क्रिय हो जाता है , उसका मन काम में नही लगता है और वो दूसरे के किये कर्म को भोग करने में लगा रहता है I इससे वह पाप के रास्ते पे निकल जाता है क्यूंकि सही रास्ते पे चल कर अगर व्यक्ति को भोग करना है तो उससे कर्म करना होगा और अगर वो चाहता है की वो सही रस्ते पे भी चले, भोग भी करे और कर्म भी न करे तो ऐसा नही हो सकता है I
इसीलिए गांधी जी ने कहा है कि जो व्यक्ति काम नहीं करता है या फिर कुछ पाने की चेष्टा नही रोकता है और निष्क्रिय हो जाता है तो वह पाप के अन्न का भोग करने लगता है और उसको गलत और सही में फर्क दिखना ख़त्म हो जाता है I