v) मोटर-बैलगाड़ी की बातचीत से क्या सीख मिलती है?
Hindi Haste Gate Class 7 chapter 6 Page 38
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बैलगाड़ी लकड़ी तथा बाँस की बनी होती है। इसमें दो पहिये होते हैं जो काठ या लोहे के बने होते हेै। गाड़ी में दो बैल जुड़े रहते है।गाड़ीवान गाड़ी पर आगे बैठता हैै और गाड़ी हाँकता है। कुछ गाड़ियों में छज्जे होते है। ये गाड़ीयाँ यात्रियों को ढोने के काम मे लाई जाती है। बैलगाड़ी से हमें बहुत लाभ है। यह भारी बोझा ढोता है। वर्षा के दिनों में जब सड़के खराब रहती है तब बैलगाड़ी ही काम आती है। यह गाँव के किसानों और व्यापारियों के लिये बहुत ही उपयोगी है। किसान बैलगाड़ी पर आसपास के गाँव में जाते है। वे इस पर गोबर लादकर अपने खेतो में ले जाते है। वे इस पर अनाज बाजार ले जाते है और बेचते है। बैलगाड़ी सवारी का अपना अलग ही आनन्द है। देहात में हरे-हरे खेतों के बीच से गुजरती सड़क पर मन्थर गति से चलती हुर्ड बैलगाड़ी में हमें कितना आनन्द आता है। बैलों के गले की छोटी-छोटी घंटियो की मधूर आवाज सुनााई पड़ता है। मन्द-मन्द हवा बहती है। तब हम सारी चिन्ताओ को भुलकर गाड़ीवान के मधूर गीत की स्वर-लहरी में खो जाते है। बैलगाड़ी भारत की संस्कृति और सरलता का प्रतीक है। इसकी अपनी खूबी है।