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"न कश्चित् कस्यचित मित्रं न कश्चित् कस्यचित रिपुः"
1. कः + चित्
2. कश् + चित्
3. क + श्चित्
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उचित उत्तराणि, विकल्पं...
1. कः + चित्
कश्चित् ► क: + चित्
संधि-भेद : विसर्गः संधि
न कश्चित् कस्यचित् मित्रं, न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
अर्थतस्तु निबध्यन्ते, मित्राणि रिपवस्तथा॥
अर्थात न तो कोई किसी का मित्र बनता है, और न कोई किसी का शत्रु होता है। किसी प्रयोजनवश यानि किसी काम से ही लोग एक दूसरे के मित्र और शत्रु बनते हैं।
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