(v) सादगी पाठ में घटित घटनाएं किस देश से सम्बन्ध रखती।
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All the incidents in hand are persons related to Bharat Gas.
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बाजार की प्रायः कोई नैतिकता नहीं होती और होती है तो सिर्फ मुनाफा कमाने की। वह विज्ञापन और प्रचार अभियान के जरिए नए-नए उत्पादों को लोगों के दिलो-दिमाग पर उतार देता है और ऐसा माहौल रचता है कि आप न चाहते हुए भी चीजें खरीदने के लिए मजबूर होते हैं।
गाँधीजी ने सारी जिंदगी सादगी का न केवल संदेश दिया, बल्कि अपनी जिंदगी में उसे उतारकर भी दिखाया। गत वर्ष उनके जन्मदिन से ऐन पहले एक विदेशी कंपनी ने 11 लाख 39 हजार रुपए के सोने के फाउंटेन पेन बाजार में उतारे हैं और बेचने की रणनीति के तहत उसे महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा से जोड़ दिया था, यह सोचे-समझे बिना की दांडी यात्रा और गाँधी का समूचा दर्शन आज के निर्मम बाजारवाद के खिलाफ खड़ा है।
गाँधीजी ने 1930 में दांडी-मार्च किया था। वे कई सत्याग्रहियों के साथ 24 दिनों में 241 मील की यात्रा करके दांडी पहुँचे थे, जहाँ उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा नमक पर लगाए गए टैक्स के विरोध में खुद नमक बनाया था। यह गाँधीजी के अहिंसक आंदोलन की एक बेहतरीन मिसाल थी। अँगरेजों ने तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया जिसके विरोध में देशभर में लोगों ने गिरफ्तारियाँ दीं और ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया।
- दांडी-मार्च ने राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन को एक नई ऊर्जा, गति और दिशा दी। महात्मा गाँधी ने चूँकि 241 मील की यात्रा की थी, इसलिए कंपनी ने 11 लाख 39 हजार रुपए वाले 241 सोने के कलम ही बाजार में उतारें और इस श्रृंखला का नाम रखा गया 'महात्मा गाँधी लिमिटेड एडिशन-241'। चूँकि अमीर से अमीर आदमी भी 11 लाख रुपए का सोने का पेन भी खरीदने से पहले दस बार सोचता है, इसलिए कंपनी ने 1 लाख 67 हजार रुपए की कीमत वाले 3,000 पेन भी बाजार में उतारे और इसका नाम रखा 'महात्मा गाँधी लिमिटेड एडिशन-3000'।