Hindi, asked by ishaanmakhija, 8 months ago

व) अंधकार की सरिता पार करने के लिए मनुष्य
क्या तैयार किया था?​

Answers

Answered by hy080420
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पाते हैं कि कौन-सी चीज क्या है। बहुत से लोग अंधेरे में जाने से डरते हैं,  खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए है,  क्योंकि आपके सारे काम,  आपकी सारी कोशिशें सिर्फ अपने वजूद को सुरक्षित बनाए रखने में केंद्रित हैं। अगर आप खुद को ऐसा बना लेते हैं कि वजूद बरकरार रखना कोई मुद्दा न रह जाए,  आपमें किसी भी चीज के लिए कोई डर न बचे,  तब आपमें अंधकार और प्रकाश को एक अलग तरह से समझने की काबीलियत आ जाती है।

अगर हम आपको ईश्वर के बारे में शिक्षा देना चाहें,  जबकि आप अभी अपने मन की सीमाओं के अंदर काम कर रहे हैं तो हमें हमेशा ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताना होता है,  क्योंकि प्रकाश से आप देखते हैं,  प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है। लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है,  तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है,  कुछ समय के बाद यह जल कर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज। एक कुछ घंटों में जल जाएगा,  तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे,  लेकिन वह भी जल जाएगा।

तो सूर्य से पहले और सूर्य के बाद क्या है?  क्या चीज हमेशा थी और हमेशा रहेगी?  अंधकार। वह क्या है,  जिसे आप ईश्वर कहते हैं?  वह जिससे हर चीज पैदा होती है,  उसे ही तो आप ईश्वर के रूप में जानते हैं। अस्तित्व में हर चीज का मूल रूप क्या है?  उसे ही तो आप ईश्वर कहते हैं। अब आप मुझे यह बताएं कि ईश्वर क्या है,  अंधकार या प्रकाश? शून्यता का अर्थ है अंधकार। हर चीज शून्य से पैदा होती है। विज्ञान ने आपके लिए यह साबित कर दिया है और आपके धर्म हमेशा से यही कहते आ रहे हैं - ईश्वर सर्वव्यापी है। शिव अंधकार की तरह सांवले हैं। क्या आप जानते हैं कि शिव शाश्वत क्यों हैं?  क्योंकि वे अंधकार हैं। वे प्रकाश नहीं हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। अंधकार सर्वव्यापी है। लेकिन आप अंधकार को नकारात्मक समझते हैं। यह सिर्फ आपके भीतर बैठे हुए भय के कारण है।

आपकी समस्या की यही वजह है। यह सिर्फ आपकी समस्या है,  अस्तित्व की नहीं। अस्तित्व में हर चीज अंधकार से पैदा होती है। प्रकाश सिर्फ कभी-कभी और कहीं-कहीं घटित होता है। आप आसमान में देखें तो पाएंगे कि तारे बस इधर-उधर छितरे हुए हैं और बाकी सारा अंतरिक्ष अंधकार है,  शून्य है,  असीम-अनंत है। यही स्वरूप ईश्वर का भी है। इसीलिए हम कहते हैं कि मोक्ष का अर्थ पूर्ण अंधकार है। यही वजह है कि योग में हम हमेशा यह कहते हैं कि चैतन्य अंधकार है। केवल तभी,  जब आप मन के परे चले जाते हैं,  आप अंधकार का आनंद उठाना जान जाते हैं। उस अनंत-असीम सृष्टा को अनुभव करने लगते हैं। बंद आंखों से आपकी एकाग्रता बढ़ जाती है। अधिकांश लोग ध्यान करते वक्त जब अपनी आंखें बंद करते हैं,  तब प्रकाश देखते हैं। हर व्यक्ति यह दावा कर रहा है कि जब वह आंखें बंद करता है,  उसे प्रकाश दिखाई देता है। जब आप ध्यान करते हैं तो हम आंखें बंद करने के लिए कहते हैं,  क्योंकि खुली आंखों की अपेक्षा बंद आंखों में आप अपने सृष्टा के थोड़े ज्यादा नजदीक होते हैं।

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