विभिए
लिजित परिक्लक पदकर की गई
।
कलन फात
लिखि
दोनीने मिलकर चिती की प्रििनिशा यहाँ की भी
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मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है आत्मनिर्भरता तथा सबसे बड़ा अवगुण है स्वाबलंबन स्वाबलंबन सबके लिए अनिवार्य है जीवन के मार्ग में अनेक बाधाएं आती हैं यदि उनके कारण हम निराश हो जाएं संघर्ष से जी चुराने या मेहनत से दूर रहे तो भला हम जीवन में कैसे सफल होंगे आता आवश्यक है कि हम स्वावलंबी बने तथा अपने आत्मविश्वास को जागृत करके मजबूत बने यदि व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास जागृत कर ले तो दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे बहन ना कर सके स्वयं में विनाश करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब होता जाता है सफलता स्वाबलंबी व्यक्ति के पैर छूती है आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता से आत्म बल मिलता है जिससे आत्मा का विकास होता है तथा मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों की यत्र-तत्र सुभाषितों और नीतिश्लोकों के रूप में प्राप्त होते हैं। जरूरत है उन्हें ढूँढने वाले
- की। जीवनमार्ग पर चलते हुए जब किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति आती है तो
- संस्कृत सूक्तियाँ हमें मार्गबोध कराती हैं। नीतिशतक, विदुरनीति, चाणक्यनीतिदर्पण आदि
- ग्रन्थ ऐसे ही श्लोकों के अमर भण्डागार हैं। प्रशस्त होता है संभाल मानव में गुणों की प्रतिष्ठा करता है आत्मानं आत्मविश्वास आत्मबल आत्मरक्षा साहस व संतोष धैर्य आदि गुण संभाल के संबोधन भाई है संभाल व्यक्ति के जीवन में संबोधन सफलता प्राप्ति कर का महामंत्र है l
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