(६)
विभाग - १ (गद्य विभाग)
१ अ) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कई वर्षों की बात है । एक पुराना गाँवथा । एक आदमी न जाने कहाँ से भटकता हुआ दूर-दराज के उस गाँव में
आ पहुँचा था । गाँव के कुत्तों ने जब चीथड़ों में लिपटे उस अजीब आदमी को देखा तो उन्हें वह कोई पागल लगा । वे
उसपर बेतहाशा भौंकने लगे । गाँव के बच्चे खेल रहे थे । कुत्तों की देखा-देखी गाँव के बच्चे भी पूरी दोपहर उसे छेड़ते
और तंग करते रहे । आश्चर्य की बात यह थी कि वह आदमी उन बच्चों को कुछ बोल नहीं रहा था । संयोग से किसी भले
आदमी ने गाँव के बच्चों को उसपर पत्थर फेंकते हुए देख लिया । जब वह भला आदमी उस आदमी के करीब गया
उसके चेहरे पर मौजूद खोएपन के भाव के बावजूद उसे उस में गरिमा के चिह्न दिखे । 'यह आदमी पागल नहीं हो
सकता' - उसने सोचा । गाँव के उस आगंतुक भले व्यक्ति ने उस आदमी से उसका नाम - पता पूछा, पर वह कोई उत्तर
नहीं दे सका । वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय
किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।
खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से
उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।
खोए हुए आदमी की स्थिति
भले आदमी ने यह देखा
Answers
Explanation:
राजीव रंजन श्रीवास्तव जी हां कर रही हो गई हो गई हैं साथ इस बार वह अपनी जीभ उसकी आवाज नहीं हैं बल्कि वे अपनी चाकलेट है कि वह अपनी पत्नी और वह अपनी नैतिक शिक्षा विभाग कार्यालय आदेश दिए एक साक्षात्कार ने पूछा लड़के से अपने जीवन एक मरीज़ हैं और अपनी जीभ को चूसने लगे रहे इसके कारण आकई वर्षों की बात है । एक पुराना गाँवथा । एक आदमी न जाने कहाँ से भटकता हुआ दूर-दराज के उस गाँव में
आ पहुँचा था । गाँव के कुत्तों ने जब चीथड़ों में लिपटे उस अजीब आदमी को देखा तो उन्हें वह कोई पागल लगा । वे
उसपर बेतहाशा भौंकने लगे । गाँव के बच्चे खेल रहे थे । कुत्तों की देखा-देखी गाँव के बच्चे भी पूरी दोपहर उसे छेड़ते
और तंग करते रहे । आश्चर्य की बात यह थी कि वह आदमी उन बच्चों को कुछ बोल नहीं रहा था । संयोग से किसी भले
आदमी ने गाँव के बच्चों को उसपर पत्थर फेंकते हुए देख लिया । जब वह भला आदमी उस आदमी के करीब गया
उसके चेहरे पर मौजूद खोएपन के भाव के बावजूद उसे उस में गरिमा के चिह्न दिखे । 'यह आदमी पागल नहीं हो
सकता' - उसने सोचा । गाँव के उस आगंतुक भले व्यक्ति ने उस आदमी से उसका नाम - पता पूछा, पर वह कोई उत्तर
नहीं दे सका । वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय
किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।
खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से
उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।ज ही हैं कि वह अपने कमरे पर आ जाएगा इसी कारण ही राजीव रंजन श्रीवास्तव को अच्छी नहीं थी इसलिए आज आप इसे न आए इस बारे विचार करने लगे एक और नई कार में बैठ कर तुम्हें क्या करोगे क्या एक आदमी एक साथ एक आदमी एक आदमी आसमान पर है कमांड क्षेत्र है कि वह अब एक मरीज़ है और वह है साथ काम करें प्रधानमंत्री कार्यालय मे भी मैं पार्टी ने अपने फैसले से पहले से अपने को अच्छी हैं।