विभाग कितने प्रकार का होता है
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ಆದರೆ ಆ ಕೆಲಸವನ್ನು ಯಾರು ಎಂದು ತಿಳಿದುಕೊಳ್ಳುವ ಕುತೂಹಲಕ್ಕೆ ಹೀಗೆ ಒಂದು ಆರು ದಶಕಗಳ ಹಿಂದಿನ ಕಥೆ ಅದು
Answer:
विभाग के बारे में
विधि कार्य विभाग
1. कृत्य और संगठन
1.1 भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम, 1961 के अनुसार इस विभाग को निम्नलिखित कार्य- मदों का आबंटन किया गया है :--
मामलों में मंत्रालयों/विभागों को सलाह देना, जिसके अंतर्गत संविधान और विधियों का निर्वचन, हस्तांतरण-लेखन और उच्च न्यायालयों तथा अधीनस्थ न्यायालयों में उन मामलों में, जिनमें भारत संघ एक पक्षकार है, भारत संघ की ओर से उपसंजात होने के लिए काउंसेल नियोजित करना ।
के महान्यायवादी, भारत के महासालिसिटर और राज्यों की बाबत केन्द्रीय सरकार के अन्य विधि अधिकारी, जिनकी सेवाओं का उपयोग भारत सरकार के मंत्रालयों द्वारा समान रूप से किया जाता है ।
सरकार की ओर से और केन्द्रीय अभिकरण स्कीम में भाग लेने वाली राज्य सरकारों की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करना।
वादों में समनों की तामील, सिविल न्यायालयों की डिक्री के निष्पादन, भरण-पोषण के आदेशों के प्रवर्तन और भारत में मृत विदेशी व्यक्तियों की संपदाओं के प्रशासन के लिए विदेशों के साथ पारस्परिक प्रबंध ।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 299(1) के अधीन राष्ट्रपति की ओर से संविदाओं और संपत्ति के हस्तांतरण-पत्रों के निष्पादन के लिए अधिकारियों को प्राधिकृत करना तथा केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसके विरूद्ध किए गए वादों में वाद - पत्रों या लिखित कथनों पर हस्ताक्षर करने और उन्हें सत्यापित करने के लिए अधिकारियों को प्राधिकृत करना ।
विधि सेवा ।
विधि के मामलों में विदेशों के साथ संधि और करार करना ।
आयोग ।
अधिनियम, 1961 (1961 का 25) सहित विधि व्यवसाय और उच्च न्यायालयों के समक्ष विधि व्यवसाय करने के हकदार व्यक्ति ।
न्यायालय की अधिकारिता को बढ़ाना और उसे और अधिक शक्तियां प्रदान करना; उच्चतम न्यायालय के समक्ष विधि व्यवसाय करने के हकदार व्यक्ति; भारत के संविधान के अनुच्छेद 143 के अधीन उच्चतम न्यायालय को निर्देश ।
अधिनियम, 1952 (1952 का 53) का प्रशासन ।
अपीलीय अधिकरण ।
विभाग को निम्नलिखित अधिनियमों के प्रशासन का कार्य भी आबंटित किया गया है:-
अधिवक्ता अधिनियम, 1961
नोटरी अधिनियम, 1952
कल्याण निधि अधिनियम, 2001;
1.2 यह विभाग आयकर अपीलीय अधिकरण और भारत के विधि आयोग का प्रशासनिक प्रभारी भी है। यह विभाग भारतीय विधि सेवा से संबंधित सभी विषयों से भी प्रशासनिक रूप से संबद्ध है । इसके अतिरिक्त, यह विधि अधिकारियों अर्थात भारत के महान्यायवादी, भारत के महासालिसिटर और भारत के अपर महासालिसिटरों की नियुक्तियों से भी संबद्ध है। विधि के क्षेत्र में अध्ययन और शोध को बढ़ावा देने और विधि व्यवसाय में सुधार करने के लिए यह विभाग इन क्षेत्रों से जुड़े संगठनों जैसे कि भारतीय विधि संस्थान और भारतीय बार काउंसिल को सहायता अनुदान देता है ।
2. संगठनात्मक ढांचा
विधि कार्य विभाग की व्यवस्था दो सोपानों में है, अर्थात् नई दिल्ली स्थित मुख्य सचिवालय और मुम्बई, कोलकाता, चेन्नै और बंगलूरु स्थित शाखा सचिवालय । कार्य की प्रकृति के हिसाब से इसके कार्यों को मोटे तौर पर दो क्षेत्रों में बांटा जा सकता है- सलाह कार्य और मुकदमा कार्य ।
मुख्य सचिवालय:
(i) सचिवालय में अधिकारियों की जो व्यवस्था है, उसके अन्तर्गत विधि सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार तथा विभिन्न स्तरों पर अन्य विधि सलाहकार हैं । विधिक सलाह देने और हस्तांतरण-लेखन से संबंधित कार्य को अधिकारियों के समूहों में विभाजित किया गया है । साधारणत: प्रत्येक समूह का प्रधान एक अपर सचिव या संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार होता है, जिसकी सहायता के लिए विभिन्न स्तरों पर अन्य विधि सलाहकार होते हैं ।
(ii) उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों और कुछ संघ राज्यक्षेत्र प्रशासनों की ओर से मुकदमा-कार्य का संचालन केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग करता है, जिसके प्रधान इस समय संयुक्त सचिव रैंक के एक आई.आर.पी.एस. अधिकारी हैं और उनकी सहायता के लिए तीन अपर सरकारी अधिवक्ता, दो उप सरकारी अधिवक्ता, दो सहायक सरकारी अधिवक्ता, एक अनुभाग अधिकारी और अन्य कर्मचारी हैं ।
(iii) उच्च न्यायालय में भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों की ओर से मुकदमों के संबंध में कार्रवाई मुकदमा (उच्च न्यायालय) अनुभाग करता है, जिसके प्रधान इस समय एक उप विधि सलाहकार हैं ।
(iv) दिल्ली में अधीनस्थ न्यायालयों में मुकदमा संबंधी कार्य की देखभाल मुकदमा (निचला न्यायालय) अनुभाग करता है, जिसके प्रधान इस समय एक सहायक विधि सलाहकार हैं ।
(v) विभाग में एक विशेष प्रकोष्ठ अर्थात कार्यान्वयन प्रकोष्ठ है, जिसका कार्य विधि आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन तथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के प्रशासन से संबंधित कार्य करना है । यह विधि व्यवसाय से संबंधित कार्य भी देखता है। इस प्रकोष्ठ को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अधीन समन्वय का कार्य भी सौंपा गया है ।
(vi) संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार का एक-एक पद क्रमश: रेलवे बोर्ड और दूर-संचार विभाग में है और इन पदों के धारक उक्त कार्यालयों में ही बैठते हैं । वर्तमान में, एक उप विधि सलाहकार रेलवे बोर्ड में कार्य कर रहे हैं । संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार का एक पद लोक उद्यम विभाग के लिए भी स्वीकृत है और पदधारी उक्त विभाग में माध्यस्थम् के स्थायी तंत्र की स्कीम के अधीन मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है । एक उप विधि सलाहकार रक्षा मंत्रालय के अधीन सेना क्रय संगठन में कार्य करता है । इसके अतिरिक्त, रक्षा मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, एस0एफ0आई0ओ0, एन0टी0आर0ओे0 और केंद्रीय जांच ब्यूरो में विभिन्न स्तरों के कुछ पद, जैसे कि उप विधि सलाहकार और सहायक विधि सलाहकार भी हैं |
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