विभागीय लेखों में अप्रत्यक्ष व्ययों के विभाजन के सिद्धान्त
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विभागीय लेखांकन से तात्पर्य कंपनी की एक या अधिक शाखाओं या विभागों के खातों को बनाए रखने से है। विभाग के राजस्व और व्यय को अलग से दर्ज और रिपोर्ट किया जाता है। तब विभागीय खातों को कंपनी के वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए प्रधान कार्यालय के खातों में समेकित किया जाता है।
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