विभिन्न प्रकार के बाजार कौन से हैं
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बाजार शब्द का अर्थ
सामान्य अर्थ में “बाजार” शब्द से तात्पर्य एक ऐसे स्थान या केन्द्र से होता है, जहाँ पर वस्तु के क्रेता और विक्रेता भौतिक रूप से उपस्थित होकर क्रय-विक्रय का कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए शहरों में स्थापित व्यापारिक केन्द्र जैसे कपड़ा बाजार या गाँवों में लगने वाले हाट। अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ सामान्य अर्थ से भिन्न होता है। अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का तात्पर्य उस सम्पूर्ण क्षेत्र से होता है, जहाँ कि वस्तु के क्रेता एवं विक्रेता आपस में और परस्पर प्रतिस्पर्धा के द्वारा उस वस्तु का एक ही मूल्य बने रहने में योग देते हैं।
प्रो. ऐली के अनुसारः “बाजार से तात्पर्य उस सामान्य क्षेत्र से होता है, जहाँ पर किसी वस्तु विशेष के मूल्य को निर्धारित करने वाली शक्तियां क्रियाशील होती हैं।”
बाजार की विशेषताएं
1. क्षेत्र- इसका क्षेत्र स्थान विशेष तक सीमित न होकर विस्तृत होता है। इसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय भी हो सकता है।
2. प्रतियोगिता- बाजार में प्रतियोगिता हो भी सकती है और नहीं भी ।
3. एक वस्तु- प्रत्येक वस्तु का बाजार अलग-अलग होता है। बाजार में वस्तुओं की ही खरीदी और बिक्री की जाती है ।
4. क्रेता और विक्रेता- बाजार में क्रेता और विक्रेता के बीच ही क्रय व विक्रय होता है।