विभिन्न प्रकार की दलीय व्यवस्था का वर्णन कीजिए
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दल बनाना तथा दल-परिवर्तन
भारत में दल बनाना, दल परिर्वतन, टूट, विलय, विखराव, ध्रवीकरण आदि राजनैतिक दलों की कार्यशैली का महत्वपूर्ण रूप है ।
क्षेत्रीय दलों का उद्भव
भारत की दलीय व्यवस्था का एक दूसरा प्रमुख लक्षण राज्य स्तरीय दलों का उदय और उनकी बढ़ती भूमिका है
पारंपरिक कारकों पर आधारित
पश्चिमी देशों में राजनैतिक दल सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक कार्यक्रमों के आधार पर बनते हैं।
व्यक्तित्व का महिमामंडन
बहुधा दलों का संगठन एक श्रेष्ठ व्यक्ति के चारो ओर होता है जो दल तथा उनकी विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
दलों का संगठन
एक श्रेष्ठ व्यक्ति के चारो ओर होता है जो दल तथा उनकी विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
एकदलीय व्यवस्था
अनेक दल व्यवस्था के बावजूद भारत में एक लंबे समय तक कांग्रेस का शासन रहा । अतः श्रेष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रजनी कोठारी ने भारत में एक दलीय व्यवस्था को एक दलीय शासन व्यवस्था अथवा कांग्रेस व्यवस्था कहा।
बहुदलीय व्यवस्था
देश का विशाल आकार, भारतीय समाज की विभिन्नता, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की ग्राह्यता, विलक्षण राजनैतिक प्रक्रियाओं तथा कई अन्य कारणों से कई प्रकार के राजनीतिक दलों का उदय हुआ है।
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