विभिन्न प्रतीक चिन्हों के महत्व को लिखिए
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प्रतीक ; किसी वस्तु, चित्र, लिखित शब्द, ध्वनि या विशिष्ट चिह्न को कहते हैं जो संबंध, सादृश्यता या परंपरा द्वारा किसी अन्य वस्तु का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, एक लाल अष्टकोण (औक्टागोन) "रुकिए" (स्टॉप) का प्रतीक हो सकता है। नक्शों पर दो तलवारें युद्ध क्षेत्र का संकेत हो सकती हैं। अंक, संख्या (राशि) के प्रतीक होते हैं। सभी भाषाओं में प्रतीक होते हैं। व्यक्तिगत नाम, व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीक होते हैं।
मनोविश्लेषण और आर्केटाइप्स (आद्यरूप) संपादित करें
आर्केटाइप्स का अध्ययन करने वाले स्विस मनोविश्लेषक कार्ल जंग ने प्रतीक की वैकल्पिक परिभाषा प्रस्तावित् की तथा उसे संकेत (साइन) शब्द से अलग बताया. जंग के विचार में, संकेत का इस्तेमाल ज्ञात वस्तुओं के लिए किया जाता है जैसे कि किसी शब्द का इस्तेमाल उसके संदर्भकर्ता के लिए किया जाता है। उन्होंने इसे प्रतीक की तुलना में अलग बताया है; उनके अनुसार प्रतीक का इस्तेमाल अज्ञात वस्तुओं के लिए किया जाता है तथा उन्हें स्पष्ट या सटीक बनाना मुश्किल होता है। इस अर्थ में प्रतीक का एक उदाहरण ईसामसीह, स्वयं (सेल्फ) नामक आद्यरूप का प्रतीक हैं।[1] उदाहरण के लिए, लिखित भाषाएँ विभिन्न प्रकार के प्रतीकों से बनी होती हैं जो शब्दों का निर्माण हैं। इन लिखित शब्दों के माध्यम से मानव एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं। केनेथ बर्क होमो सेपिएन्स का वर्णन, "प्रतीक का उपयोग करने, प्रतीक बनाने और प्रतीकों का दुरुपयोग करने वाले जानवरों के रूप में" करते हैं, यह इंगित करने के लिए कि एक व्यक्ति अपने जीवन में प्रतीकों को बनाता है साथ ही उनका दुरुपयोग भी करता है। प्रतीक के दुरुपयोग का अर्थ बताने के लिए वे एक व्यक्ति कि कहानी का उदाहरण देते हैं जिसे जब यह बताया गया कि उसको दिया गया भोजन वास्तव में व्हेल की चर्बी (ब्लबर) है, वह उसे फेंकने से अपने आप को रोक नहीं पाया। बाद में उसके दोस्त को पता चला कि वह तो वास्तव में खाने की एक सामान्य वस्तु (डंपलिंग) थी। लेकिन उस आदमी की प्रतिक्रिया, इस बात का सीधा परिणाम थी कि उसके दिमाग में "ब्लबर" एक अखाद्य सामग्री का प्रतीक है। इसके अलावा, आदमी के लिए "ब्लबर" के प्रतीक का निर्माण उसके द्वारा सीखी गयी विभिन्न चीजों का परिणाम था। बर्क जोर देते हैं कि मनुष्य इस प्रकार की सीख प्राप्त करते हैं जो कि विभिन्न छपाई स्रोतों, हमारे जीवन के अनुभवों और अतीत के प्रतीकों को देखकर प्रतीक बनाने में मदद करती है।
बर्क आगे वर्णन करते हैं कि प्रतीक, सिगमंड फ्रायड के संक्षेपन और विस्थापन पर किये गए कार्यों से भी निकाले जा रहे हैं। वे आगे कहते हैं कि यह केवल सपनों के सिद्धांत के लिए ही नहीं अपितु "सामान्य प्रतीक व्यवस्थाओं" के लिए भी प्रासंगिक हैं। वे कहते हैं कि वे "प्रतिस्थापन" द्वारा संबंधित हैं जहाँ अर्थ परिवर्तन के लिए एक शब्द, वाक्यांश या प्रतीक के एवज में दूसरे प्रतिस्थापित किये जाते हैं। दूसरे शब्दों में, यदि एक व्यक्ति विशिष्ट शब्द या वाक्यांश नहीं समझता है, दूसरा व्यक्ति मूल शब्द या वाक्यांश का अर्थ पाने के लिए पर्याय या प्रतीक प्रतिस्थापित कर सकता है। तथापि जब विशिष्ट प्रतीक की नए तरीकों से व्याख्या का सामना होता है, एक व्यक्ति अपने पहले से गठित विचारों को बदल सकता है ताकि वह इस आधार पर नयी सूचनाओं को शामिल कर सके कि प्रतीक को किस प्रकार उस पर व्यक्त किया गया है।