विभिन्न संसाधनों जैसे कि विद्यालय का पुस्तकालय या इंटरनेट (अंतरजाल-तंत्र) तथा अध्यापक से चर्चा के बाद किसी जानवर जैसे कि घोड़े के विकासीय चरणों को खोजें।
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जीवाश्मों के अध्ययन आधार पर घोड़े का विकास :
(1) इओहिप्पस :
ये अमेरिका में, लोमड़ी के कद के थे। वर्तमान में इन्हें हाइरैकोथीरियम का नाम दिया गया। इसकी ऊंचाई लगभग 40 सेंटीमीटर, सिर व गर्दन छोटी, अग्रपाद में 4- 4 व पश्चपाद में 3 - 3 नखदार अंगुलियां, मोलर दांतो में सीमेंट का आवरण अधूरा, शिखर छोटा तथा इस पर दन्दाने अनुपस्थित थे । उपरोक्त लक्षणों के आधार पर वर्तमान घोड़ो से भिन्न थे।
(2) मीसोहिप्पस :
आज से लगभग 3 करोड़ वर्ष पूर्व ओलिगोसीन युग में इओहिप्पस से इनका विकास हुआ। इनका शरीर वर्तमान भेड़ के समान ,पादों में 3 - 3 नखदान अंगुलियां थी, जिनमें मध्य की अंगुली बड़ी थी । मोलर दांतो के शिखर पर कुछ दन्दाने भी उपस्थित थे।
(3) मेरीचिप्पस :
लगभग 2 वर्ष पूर्व मायोसीन युग में मीसोहिप्पस से इनका विकास हुआ इनका आकार वर्तमान खच्चर के समान था ।
इसके पादों में तीन तीन उंगलियां थी, जिनमें मध्य की उंगली अधिक बड़ी व खुरदार तथा भूमि के संपर्क में रहती थी। मोलर दांत लंबे थे। जिन पर सीमेंट का पूरा आवरण था तथा शिखर पर स्पष्ट दन्दाने भी उपस्थित थे।
(4) प्लायोहिप्पस :
लगभग 5000000 वर्ष पूर्व प्लायोसीन युग में मेरीचिप्पस से इनका विकास हुआ। ये खच्चर से कुछ बड़ा था। प्रत्येक पाद में केवल एक अंगुली विकसित तथा शेष दो छोटी-छोटी किरच अस्थियों के रूप में त्वचा से ढकी रहती थी। मोलर दांत लंबे , शिखर पर दन्दाने तथा सीमेंट का स्तर पूर्ण विकसित था।
(5) इक्वस :
लगभग 9- 10 लाख वर्ष पूर्व प्लायोहिप्पस से अंत युग में आधुनिक घोड़े का विकास हुआ । यह लगभग डेढ़ मीटर ऊंचा, ग्रीवा व शीर्ष का थूथन अपेक्षाकृत लंबा, मोलर दांत लंबे व सीमेंट स्तर युक्त , शिखर पर दन्दाने, पाद लंबे, केवल मध्य की एक उंगली का विकास , शेष विलुप्त , विकसित अंगुली पर खुर होता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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