विभिन्न विषयों की जानकारी
Answers
Answer:
hindi English math scinse
Answer:
विद्यालय में अधिगम सामान्यत: पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में विभाजित होता है, जिन्हें पाठों की विषयवस्तु के रूप में समयबद्ध किया जाता है। इस प्रकार भाषा व साक्षरता को सामान्यत: एक अलग विषय के रूप में माना जाता है, जो पाठ्यक्रम के अन्य क्षेत्रों से पृथक, पढ़ने व लिखने के कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन भाषा व साक्षरता पाठ्यक्रम के सभी विषयों को पढ़ने व पढ़ाने के माध्यम से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ाते हैं, तो आप अपने छात्रों को उस विषय से संबंधित संकल्पनाएँ व शब्दावली सिखा रहे होते हैं और सीखते समय सुनने, बोलने, पढ़ने व लिखने में शामिल करते हैं।
इस इकाई का लक्ष्य है, एकीकृत अधिगम के बारे में आपकी जानकारी को बढ़ाना, और यह आपको उन गतिविधियों की योजना बनाने में मदद करेगा, जो प्राथमिक कक्षाओं में भाषा व साक्षरता के विकास के साथ विषय की सामग्री की समझ को जोड़ती हैं।
आप इस इकाई में क्या सीख सकते हैं
विषय-संबंधित अधिगम और भाषा व साक्षरता संबंधित अधिगम को आपस में जोड़ने वाले पाठों को कैसे योजनाबद्ध व लागू किया जाए।
अपने छात्रों को किस प्रकार सहयोगपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण सामूहिक कार्य में लगाएँ।
यह दृष्टिकोण क्यों महत्वपूर्ण है
भाषा व साक्षरता विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले सभी विषय सीखने के लिए आवश्यक हैं। छात्र सुनने, बात करने, पढ़ने व लिखने के माध्यम से व विशेष विषयों से संबद्ध विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों व विन्यास को समझकर व उनका उपयोग करके ज्ञान को आत्मसात करते हैं।
उदाहरण के लिए, विज्ञान में, जिन पाठों में छात्र योजना बनाते, अनुमान लगाते, पर्यवेक्षण करते, रिकॉर्ड करते, वर्णित करते, व्याख्या व सारांश बनाते हैं, वह न सिर्फ़ उनकी विषय की समझ को बढ़ाएगा, बल्कि उनकी भाषा व साक्षरता को भी बढ़ाएगा। विद्यालय के सभी विषय भाषा व साक्षरता के विकास के ऐसे अवसर प्रदान करते हैं। अधिगम के इन संपूरक पहलुओं - विषय आधारित सामग्री व भाषा और साक्षरता सामग्री - को आपस में जोड़ने की क्षमता एक कुशल अध्यापक का गुण होता है।
1 प्राथमिक कक्षा में विषय आधारित शिक्षण व भाषा और साक्षरता के विकास को साथ मिलाना
आप एक ऐसी शिक्षिका की केस स्टडी पढ़कर शुरुआत करेंगे, जो अन्तरिक्ष विज्ञान व भाषा और साक्षरता का विकास एक साथ पढ़ाती हैं।
केस स्टडी 1: अन्तरिक्ष विज्ञान पढ़ाना
श्रीमती मीना वाराणसी के एक सरकारी विद्यालय में कक्षा तीन के छात्रों को सभी विषय पढ़ाती हैं। यहाँ वे अपनी कक्षा में विषय के ऐसे शिक्षण के प्रति समग्र दृष्टिकोण का वर्णन करती हैं।
मेरे छात्र सूर्य, चन्द्रमा और सितारों के प्रति जानने के लिए उत्सुक हैं व अक्सर उनके बारे में बात करते हैं। उनमें से कई स्पेससूट में खुद अपने या विभिन्न ग्रहों के काल्पनिक लोगों के चित्र बनाना पसंद करते हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, मैंने इस रुचि को बढ़ाने के लिए पाठों की एक श्रंखला की योजना बनाई। मैंने विषय व उसकी भाषा के बारे में ठीक से अध्ययन किया।
मैंने एक खेल से शुरुआत की जिससे छात्रों को सूर्य से दूरी के क्रम में ग्रहों के नाम याद रखने में मदद मिले। अगले पाठ में, मैंने अपनी कक्षा को 11 समूहों में विभाजित किया और उन्हें ये नाम दिए: ‘सूर्य’, ‘पृथ्वी’, ‘शुक्र’, ‘मंगल’, ‘गुरु’, ‘बुध’, ‘शनि’, ‘वरुण’, ‘प्लूटो’, ‘अरुण’। मैंने प्रत्येक समूह को विज्ञान की एक पुस्तक दी और छात्रों से क्रमश: अपने ग्रह का चित्र खोजने और उसके बारे में वे जो भी जानकारी खोज सकते थे, खोजने को कहा। मैंने ब्लैकबोर्ड पर सुझावों के तौर पर कुछ प्रश्न लिखे, जैसे:
आपके ग्रह का रंग क्या है?
यह सूर्य से कितनी दूरी पर है?
क्या वहाँ इंसान रह सकते हैं?
क्यों या क्यों नहीं?
मैंने समझाया कि जब वे अपनी बात पूरी कर लें, तो उन्हें बाकी छात्रों के साथ स्वयं को मिले ग्रह या चन्द्रमा के बारे में एक तथ्य साझा करना पड़ेगा। ऐसा वे अपनी याददाश्त से, पुस्तक से या अपने नोट्स से पढ़कर कर सकते हैं।
मेरे छात्रों के काम करते समय, मैं कमरे में घूमकर उनकी बातें सुनती रही और उनके भाषा व साक्षरता कौशल के साथ उनकी अन्तरिक्ष विज्ञान की बढ़ती समझ को देखती रही। मैंने प्रत्येक समूह के बेहतर पाठकों को उन लोगों की मदद करने को कहा, जो कम आत्मविश्वासी थे और जिस सहयोगात्मक रवैये से उन्होंने यह किया उससे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।