विभेदात्मक मजदूरी दर प्रणाली क्या है?
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यह तो स्पष्ट है कि मजदूरी भुगतान की अनेक पद्धतियाँ प्रचलन में हैं। परन्तु मजदूरी भुगतान पद्धति का श्रम लागत तथा श्रम उत्पादकता से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होने के कारण यह आवश्यक है कि किसी उचित पद्धति का ही अनुसरण किया जाये। जहाँ एक ओर आदर्श मजदूरी पद्धति श्रमिकों की कार्यकुशलता में वृद्धि करके उनके जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान करती है एवं तीव्र गति से औद्योगिक विकास की भूमिका तैयार करती है वहीं दूसरी ओर दूषित मजदूरी पद्धति के अन्तर्गत श्रमिकों की कार्यक्षमता का हनन होता है एवं उनके जीवन-स्तर में कमी आती है जिसके परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास की गति धीमी पड़ जाती है। एक आदर्श मजदूरी पद्धति में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है
(1) दोनों पक्षों के लिए हितकर-मजदूरी पद्धति ऐसी होनी चाहिए जो उद्योगपतियों एवं श्रमिकों दोनों के हित में हो। मजदूरी न तो इतनी अधिक हो कि उत्पादकों के लिए असहनीय हो जाये और न ही इतनी कम हो कि श्रमिकों की उचित आवश्यकताएँ भी पूरी न हो सकें।
(2) सरलता-मजदूरी पद्धति अत्यन्त सरल एवं सुगम होनी चाहिए ताकि श्रमिक स्वयं भी आसानी से मजदूरी का हिसाब लगा लें। यदि वे पहले से ही अपनी आय का सही अनुमान लगा लेते हैं तो उन्हें अपना पारिवारिक बजट बनाने में सुविधा रहेगी।
(3) न्यूनतम मजदूरी का आश्वासन-एक आदर्श मजदूरी पद्धति के लिए यह भी आवश्यक है कि न्यूनतम जीवन-स्तर बनाये रखने के लिए न्यूनतम पारिश्रमिक का आश्वासन हो।
(4) प्रेरणात्मक -मजदूरी पद्धति ऐसी होनी चाहिए ताकि श्रमिकों में यह भावना विकसित हो कि वे जितना अधिक परिश्रम करेगे उनका पारिश्रमिक भी उतना ही अधिक ना हो ।
(5) लोचदार-एक सन्तोषजनक मजदरी पद्धति के लिए यह भी आवश्यक है कि यह लोचदार हो ताकि उत्पादन एव। लाभ के अनुसार मजदूरी कम या अधिक की जा सके।
(6) मितव्यायततापूर्ण-मजदूरी पद्धति मितव्ययी भी होनी चाहिए अर्थात प्रणाली ऐसी हो जिसे लागू करने में लिपिक व्यय अधिक न हो।
(7)शीघ्र भुगतान-आदर्श मजदूरी पद्धति के लिए यह भी आवश्यक है कि वेतन मिलने में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए।
(8) अन्य उद्योगों के अनुरूप-मजदरी पद्धति अन्य उद्योगों में प्रचलित पद्धति के अनुरूप ही होनी चाहिए अन्यथा लोग काम छोड़कर दूसरे कारखानों में चले जायेंगे। ।
(9) समानता-पद्धति ऐसी होनी चाहिए जिसमें समान कार्य के लिए समान वेतन का भुगतान किया जाये।
(10) श्रमिकों की योग्यतानुसार भुगतान-मजदरी पद्धति ऐसी होनी चाहिए जिसमें सभी श्रमिकों को उनकी योग्यतानुसार मजदूरी प्राप्त हो सके अर्थात् कुशल श्रमिक को अधिक तथा अकुशल श्रमिक को कम मजदूरी प्राप्त हो।
Explanation:
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